Monday, March 16, 2009

कुछ दर्द मेरे अपने

कुछ दर्द मेरे अपने
कुछ अश्क पराये भी
कुछ खामोश पीये मैंने
कुछ खुल के बहाये भी

कुछ शोखी हसीनों की
कुछ अंदाज जमाने के
कुछ कौल मेरे टूटे
कुछ वादे निभाये भी

कुछ बातें कह डाली
कुछ किस्से छुपाये भी
कुछ काटी अंधेरों में
कुछ चिराग जलाये भी

कुछ दोस्त मिले मुझको,
कुछ झूठे सौदाई
कुछ याद रहे अब तक
कुछ नाम भुलाये भी

कुछ अरमां बर आये
कुछ उम्मीदें मुर्झाई
कुछ जीत के मैं हारा
कुछ हार सजाई भी

कुछ दर्द मेरे अपने
कुछ अश्क पराये भी
कुछ खामोश पीये मैंने
कुछ खुल के बहाये भी


"मोहिंदर कुमार "

1 comment:

  1. भाई मेरी गजल उठा कर आपने अपने ब्लोग पर लगा दी और मुझे सूचित भी नही किया..........
    आप जहां से भी कोई रचना उठायें उसके लेखक को अवश्य सूचित कर दें वर्ना आप कभी भी किसी उलझन में पड सकते हैं.

    आपका
    मोहिन्दर कुमार
    9899205557

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