Friday, February 6, 2009

ये रात , ये तन्हाई

ये रात, ये तन्हाई
ये दिल के धड़कने की आवाज़
ये सन्नाटा
ये डूबते तारों की खामोश ग़ज़ल खवानी
वक़्त की पलकों पर सोती हुई वीरानी
जज़्बात -ऐ - मुहब्बत की
ये आखिरी अंगडाई
बजती हुई हर जानिब
ये मौत की शहनाई
सब तुम को बुलाते हैं
पलभर को तुम आ जाओ
बंद होती मेरी आंखों में
मुहब्बत का
एक ख्वाब सजा जाओ
मीना कुमारी ' नाज़ '

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