हम दोस्ती एहसान वफ़ा भूल गए हैं
जिंदा तो है जीने की अदा भूल गए हैं
खुश्बू जो लुटाते हैं मसलते हैं उसी को
एहसास का बदला ये मिलता है कली को
एहसास तो लेते है सिला भूल गए हैं
करते हैं मुहब्बत का और एहसास का सौदा
मतलब के लिए करते हैं ईमान का सौदा
डर मौत का और खौफ -ऐ -खुदा भूल गए हैं
अब मोम में ढलकर कोई पत्थर नहीं होता
अब कोई भी कुर्बान किसी पर नहीं होता
क्यूँ भटकते हैं मंजिल का पता भूल गए हैं
Wednesday, January 28, 2009
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