Friday, January 9, 2009

खवाब का द्वार बंद है

मेरे लिए रात ने आज फ़राहम
किया एक नया मर्हला
नींदों ने ख़ाली किया
अश्कों से फ़िर भर दिया
कासा मेरी आँख का और
कहा कान में मैंने
हर एक जुर्म से
तुमको बरी कर दिया
मैंने सदा के लिए
तुमको रिहा कर दिया जाओ
जिधर चाहो
तुम जागो कि
सो जाओ तुम
ख़्वाब का दर बंद है


शहरयार

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