Wednesday, January 28, 2009

हम सफर बन के साथ हैं

हम-सफर बन के हम साथ हैं आज भी
फिर भी है ये सफर अजनबी अजनबी
राह भी अजनबी मोड़ भी अजनबी
जाएँ हम किधर अजनबी अजनबी

ज़िन्दगी हो गई है सुलगता सफर
दूर तक आ रहा है धुंआ सा नज़र
जाने किस मोड़ पर खो गई हर खुशी
देके दर्द - ऐ - जिगर अजनबी अजनबी

हमने चुन चुन के तिनके बनाया था जो
आशियाँ हसरतों से सजाया था जो
है चमन में वही आशियाँ आज भी
लग रहा है मगर अजनबी अजनबी

किसको मालूम था दिन ये भी आयेंगे
मौसमों की तरह दिल भी बदल जायेंगे
दिन हुआ अजनबी रात भी अजनबी
हर घड़ी हर पहर अजनबी अजनबी

मदनपाल

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